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वामन मेश्राम के बहुजन विचार

जब साहेब कांशीराम जी ने बसपा के गठन के बाद बामसेफ ख़त्म करनी चाही तो उस समय कुछ लोगों ने साहेब के इस पोलिटिकल मूव का कड़ा विरोध किया था। और उनके ही संगठन बामसेफ को अपने नाम से रजिस्टर्ड करा लिया। लेकिन आप लोगों में से किसी ने भी अपने अध्यक्ष से यह नहीं पूछा की जिस बात के लिए उन्होंने बामसेफ के टुकड़े किये साहेब के  पोलिटिकल पार्टी बनाने के ऊपर उन्होंने खुद क्यों अब पोलिटिकल पार्टी बनाई। क्या उन्हें इतने सालों के बाद यह बात समझ में आयी की बिना पोलिटिकल पॉवर कुछ नहीं हो सकता चाहे कितने भी संगठन बना लो। तो फिर तब इस मुद्दे पर साहेब का विरोध मेश्राम ने क्यों किया था।
2. जितने भी दलित संगठन या उसके नेता हैं या थे सभी साहेब और माननीय बहनजी की इस बात का विरोध करते नहीं थकते थे की इन लोगों की बसपा पार्टी ने बीजेपी के साथ UP में सरकार बनाकर मिशन को सत्ता की लालच में बेच दिया। चाहे रामदास अठावले की RPI हो चाहे रामविलास पासवान की लोजपा हो या उदित राज की जस्टिस पार्टी। इन सभी ने UP में चुनाव लड़कर बसपा के दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की बहुत कोशिश की और पूरे प्रदेश में बसपा का बहुत विरोध किया। लेकिन नतीजा क्या हुआ जो बेचारे राष्ट्रीय लेवल की राजनीति करना चाहते थे वोह खुद चारों तरफ से थप्पड़ खाकर 2009 में कांग्रेस की गोद में बैठने के बाद 2014 में बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गये।

3. बसपा ने तो सिर्फ अपनी शर्तों पर सहयोग लेकर सरकार बनाई थी और जब देखा की बीजेपी अपने किये वादों से भटक रही है तो उसने UP में सरकार तक गिरा दी। लेकिन यह बेचारे तो अपना सब कुछ बीजेपी में गिरवी रखकर उसमे शामिल होकर उसके तलवे चाट रहे हैं। इन्हें सिर्फ अपने से मतलब था। तभी तो जो अठावले खुद 2009 में महाराष्ट्र से चुनाव नहीं जीत पाया वोह इसी बीजेपी के रहमोकरम पर सांसद बन सका। यही हाल उदित राज और रामविलास पासवान का भी है।
4.  बिल्कुल इन्ही लोगों की तर्ज पर अब वामन मेश्राम और उसकी पार्टी बहुजन मुक्ति पार्टी यानि BMP भी चल पड़ी है। वह भी बसपा का विरोध करने के लिए UP में 2017 का चुनाव लड़ने जा रही है इस उम्मीद पर की वह भी दलितों का कुछ वोट काटकर बसपा की राह में रोड़े अटका सके।इसके लिए उन्होंने बसपा से निकाले गए नेता दद्दन प्रसाद को अपनी पार्टी की कमान UP चुनाव में बसपा के विरुद्ध सौंपी है  लेकिन UP का बहुजन समाज जागरूक है वह महाराष्ट्र के दलित लोगों की तरह नहीं कहता की यह होऊ सकत नाहीं। उसने 4 बार यह बता दिया की यह होऊ सकत है। यह मैं क्यों लिख रहा हूँ क्योंकि जब साहेब 80 के दशक में मूवमेंट को आगे बढ़ाने के लिये महाराष्ट्र में थे तो वहां लोग साहेब से कहते थे कि जब बाबा साहेब ही चुनाव नहीं जीत पाये
तो हम कैसे जीत सकते हैं यह होऊ सकत नाहीं। यह बहुत लंबा किस्सा है अगर किसी भाई को सबूत चाहिए होगा तो उसे डिटेल में बाद में दे दिया जायेगा।

5.  मैं बामसेफ और इससे जुड़े लोगों को यह भी बताना चाहता हूँ कि बीजेपी के सहयोग से बसपा का सरकार बनाना एक तरह से उसके लिए वरदान और बीजेपी के लिए अभिशाप साबित हुआ। क्योंकि चाहे थोड़े दिनों की ही सही जब बसपा की सरकार UP में बनी तो प्रदेश के लोगों ने बहनजी की नेतृत्व क्षमता को पहचाना जिसके फलस्वरूप 2007 में  हमारी UP में पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकी।

6.  मैं वामन मेश्राम की बामसेफ के लोगों से यह पूछना चाहता हूँ कि तुम सब पढ़े लिखे लोगों ने कभी यह नहीं सोचा की जो संगठन अपने बामसेफ संगठन से निकली पार्टी बसपा का विरोध करता है वह समाज को जोड़ने का काम कैसे करेगा। यह तो सिर्फ एक बहाना है कि बसपा ने ब्राह्मणों को अपनी पार्टी में रखा हुआ है इसलिए मेश्राम और उसका संगठन बसपा का विरोध करता है। मैं आप लोगों से पूछता हूँ कि इतने सालों से ब्राह्मण हमारे लोगों के सहयोग से हमारे लोगों की मेहनत से और हमारे लोगों के वोट से सत्ता प्राप्त करकर हम लोगों के ऊपर राजा बनकर बैठा था लेकिन बसपा ने उन्ही का पैंतरा उन्हीं पर चलकर उनके सहयोग उनकी मेहनत और उनके वोट से खुद सत्ता प्राप्त कर ली तो आप लोगों को इतनी मिर्ची लग गयी।

7.  इतनी फुर्ती से जरा कभी अपने अध्यक्ष से पूछो की वह बसपा और बहनजी की बुराई तो करता है लेकिन क्या उसने कभी रामदास अठावले उदित राज और रामविलास पासवान की भी कभी बुराई की है वह क्यों ब्राह्मणों की पार्टी बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गए। वह ऐसा नहीं करेगा क्योंकि यह सब मिले हुए हैं जिनका सिर्फ एक ही एजेंडा है बसपा की बुराई। क्योंकि मैं बड़ा हैरान हूँ कि इतने पढ़े लिखे लोग होते हुए भी किसी ने भी कभी भी मेश्राम से यह नहीं पूछा की अध्यक्ष जी बिना पोलिटिकल पॉवर आप कैसे क्रांति लाओगे। क्योंकि जब तक पोलिटिकल पॉवर नहीं कुछ नहीं। किसी ने भी यह नहीं पूछा की साहेब ने इसी संगठन बामसेफ से 1984 में बसपा बनाई और 1989 में बहनजी कुमारी मायवती को सांसद बनाया और खुद भी 1991 में सांसद बन गए और 1995 में देश के सबसे बड़े राज्य् UP में अपनी सरकार भी बना दी और 1996 में बसपा को राष्ट्रीय पार्टी भी बना दिया।और आप अभी तक सिर्फ लोगों को ही जोड़ने का काम इतने सालों से कर रहे हो। फिर भी आप लोगों की समझ में इनका छुपा एजेंडा समझ में नहीं आ रहा तो आपके पढ़े लिखे होने को बहुत बहुत साधुवाद।

8. अगर इसी तरह आप लोग बसपा की बुराई करते रहोगे तो अभी तो लोग यही समझते हैं कि यह बामसेफ बसपा के लिए काम करती है इसलिए इसमें हरियाणा ,दिल्ली, UP ,पंजाब और अन्य राज्यों के ज्यादातर लोग इससे जुड़े हुए हैं। लेकिन जब उन्हें इसके छुपे एजेंडा के बारे में पता चल गया कि यह संगठन बसपा की बुराई करता है और इसने बसपा के विरोध के लिये अपनी पोलिटिकल पार्टी बहुजन मुक्ति पार्टी बना ली है तो फिर लोग इस संगठन से नहीं जुडेँगेँ और इसका हाल भी RPI जैसा हो जायेगा। जो बनी तो राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिये थी। लेकिन कैसे पिछले कुछ सालों में यह सिर्फ महाराष्ट्र में ही सीमित हो गयी। और वहां भी जब यह एक भी MP MLA नहीं जिता पायी तो इसके अध्यक्ष को कैसे बीजेपी के सहारे सांसद बनना पढ़ा।
9. इसलिए जितनी जल्दी हो बसपा का विरोध बंद कर दो नहीं तो जो लोग धोखे से इसमें जुड़ गए है और इसे चंदा देते हैं वह इसके पदाधिकारियों और इसके लोगों को अपने घर में भी नहीं घुसने देंगें।

जब इन लोगों से यह सवाल पूछो तो यह सभी कहने लगते हैं कि हमें ऐसी बात छोड़कर समाज को जोड़ने का काम करना चाहिए। लेकिन जब इनसे पूछो की जब आप लोग खुद अपने समाज की पार्टी और उसकी मुखिया का विरोध करते हो तो तब समाज कैसे जुड़ सकता है। आप खुद तो कोई MP कोई MLA जीता नहीं सके और जो MP बनकर और मुख्यमंत्री बनकर समाज की आवाज़ को संसद और विधानसभा में बुलंद किये हुए हैं आप लोग उन माननीय बहनजी का विरोध करते हो। पहले साहेब का भी करते थे लेकिन अब उनकी तस्वीर अपने अधिवेशनों में लगाते है ताकि लोग गुमराह होते रहें की मेश्राम की बामसेफ ही साहेब की बामसेफ है। और भी बहुत सवाल हैं लेकिन धीरे धीरे सभी पूछूँगा। क्योंकि अभी की पोस्ट जरा ज्यादा लंबी हो गयी है।
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3 comments:

  1. क्या हमे बता सकते है वामन मेशराम को बामसेफ से क्यो निकाला गया था

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  2. क्या हमे बता सकते है वामन मेशराम को बामसेफ से क्यो निकाला गया था

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  3. वामन मेश्राम कभी भी किसी की बुराई नहीं करता सड़कों पर काम करता है ऐसी के अंदर बैठकर नहीं बसपा भक्ति में मोनोपली के चक्कर में इतनी भी बुराई मत करो कि खुद को ही शर्मिंदा होना पड़े ।

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